दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!... किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ https://dailybookmarkhit.com/story18389043/how-shiv-chaisa-can-save-you-time-stress-and-money
Getting My Shiv Chaisa To Work
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